लखनऊ । शामली में सोमवार देर रात मुस्तफा कग्गा गैंग के बदमाशों से हुई मुठभेड़ के दौरान घायल हुए एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी शहादत ने पूरे पुलिस विभाग को गमगीन कर दिया है। मेरठ के रहने वाले सुनील कुमार के पेट में तीन गोलियां लगी थीं, जिनमें से एक गोली उनके लीवर को पार कर पीठ में अटक गई थी।
डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान उनका गाल ब्लैडर निकालना पड़ा और बड़ी आंत का कुछ हिस्सा भी हटाना पड़ा। उनकी हालत अत्यंत गंभीर थी, जिसके चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका। इंस्पेक्टर सुनील मेरठ में इंचौली के मसूरी गांव के रहने वाले थे। उनके पिता चरण सिंह और माता का निधन हो चुका है। बड़े भाई अनिल काकरान गांव में खेती करते हैं। परिवार में पत्नी मुनेश, बेटा मंजीत उर्फ मोनू, और बेटी नेहा हैं। दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है।
सीएम ने दी श्रद्धांजलि, 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्तव्यपालन के दौरान वीरगति प्राप्त निरीक्षक सुनील कुमार को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। वहीं शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता , परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी व गृह जनपद की एक सड़क का नामकरण शहीद सुनील कुमार के नाम पर करने की घोषणा प्रदेश सरकार की ओर से की गई है। इसके अलावा शहीद के परिवार को हरसंभव मदद का आश्वासन सरकार की ओर से दी गई है।
एनकाउंटर में 4 बदमाशों को किया था ढेर
शामली के झिंझाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में एसटीएफ ने एक लाख के इनामी बाहड़ी माजरा सहारनपुर निवासी अरशद समेत चार कुख्यात बदमाशों को ढेर कर दिया था। यह गिरोह लंबे समय से पुलिस के रडार पर था।
इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस और अपराधियों के बीच भीषण गोलीबारी हुई थी। इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने इस मुठभेड़ में अग्रिम पंक्ति में रहकर नेतृत्व किया। इसी दौरान बदमाशों की गोली के शिकार हो गए थे।
एसटीएफ की टीम ने बुलेटप्रूफ जैकेट तक नहीं पहनी थी
अरशद पर एक लाख का इनाम था। एसटीएफ उसकी तलाश कर रही थी। सोमवार को लोकेशन मिलने के बाद एसटीएफ के 10 पुलिसकर्मी 2 गाड़ी में बदमाशों का पीछा कर रहे थे। बदमाश कारबाइन के अलावा दो पिस्टल, दो तमंचे और एक देसी बंदूक भी लिए हुए थे। बदमाशों के पास हथियार होने का अंदाजा पुलिस को नहीं था। इसलिए किसी ने बुलेटप्रूफ जैकेट भी नहीं पहनी। यही वजह रही कि बदमाशों द्वारा की गई अचानक फायरिंग में इंस्पेक्टर सुनील कुमार बच नहीं पाए औैर उनके पेट में गोलियां लग गईं।
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आउट आफ टर्न प्रमोशन मिला था
सुनील कुमार एक सितंबर, 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे। एसटीएफ का गठन होने के बाद उन्होंने 1997 में मानेसर, हरियाणा में कमांडो कोर्स किया। एक जनवरी, 2009 को सुनील ने एसटीएफ जॉइन किया। 16 साल से वह एसटीएफ में ही थे। 7 अगस्त, 2002 को हेड कॉन्स्टेबल के पद पर प्रमोट हुए। 13 मार्च, 2008 को फतेहपुर में हुई पुलिस मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर केवट को मार गिराया था। इस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। इसके लिए उन्हें 16 सितंबर, 2011 को आउट आफ टर्न प्रमोशन देकर हेड कॉन्स्टेबल से पीएसी में प्लाटून कमांडर बना दिया गया। 22 अप्रैल, 2020 को दलनायक के पद पर प्रमोट हुए थे।
केवट एनकाउंटर से मिली थी पहचान
सुनील कुमार ने अपने करियर में कई साहसिक कार्रवाइयों को अंजाम दिया था। वर्ष 2008 में
50 हजार के इनामी कुख्यात उमर केवट को मुठभेड़ में ढेर करने वाली टीम में सुनील कुमार शामिल रहे थे। वहीं वर्प 2019 में सवा लाख के इनामी बदमाश आदेश बालियान को मुठभेड़ में ढेर किया था। इसके अलावा वर्ष 2023 में गैंगेस्टर अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना को मार गिराया था। वहीं वर्ष 2024 में हाशिम बाबा गैंग के शूटर 50 हजार के इनामी अनिल उर्फ सोनू उर्फ मटका को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था।
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कुख्यात बदमाशों को गिरफ्तार करने में भी निभाई थी अहम भूमिका
अनिल ने बताया कि 2012-13 में सुनील द्वारा मेरठ यूनिट में रहते हुए एक-एक लाख के इनामी कुख्यात सुशील उर्फ मूंछ, बदन सिंह उर्फ बद्दो एवं भूपेन्द्र बाफर को गिरफ्तार कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
24 जून 2019 को सवा लाख के इनामी कुख्यात आदेश बालियान निवासी भौरा कलां को मुठभेड़ के दौरान मार गिराने वाली टीम का नेतृत्व भी सुनील ने किया था। चार मई 2023 को थाना जानी क्षेत्र में एसटीएफ टीम के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान कुख्यात गैंगस्टर अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना को मार गिराने वाली टीम में भी वह शामिल रहे थे।
इसके अलावा 14 दिसंबर 2024 को एसटीएफ और स्पेशल सेल दिल्ली की संयुक्त टीम ने मेरठ के टीपीनगर थाना क्षेत्र में हासिम बाबा गैंग के शूटर 50 हजार के इनामी अनिल उर्फ मटका को मार गिराया था, तब भी सुनील इस ऑपरेशन में शामिल थे। मादक पदार्थ और अवैध हथियारों की तस्करी करनें वालों पर की गई कई कार्रवाई में वे शामिल रहे।
23 साल में 45 पुलिसकर्मी शहीद
उत्तर प्रदेश में बीते 23 वर्षों में 45 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं, जबकि 2000 से अधिक घायल हुए। वहीं, 19 मार्च 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश में 218 अपराधी एनकाउंटर में ढेर किए गए हैं। हालांकि इस दौरान 18 पुलिसकर्मियों की भी शहादत हुई है। वहीं, 1500 पुलिसकर्मी घायल हुए है। सबसे अधिक जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी। जब कुख्यात अपराधी विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिस टीम पर फायरिंग हुई थी, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।