लखनऊ । जनपद शामली के झिंझाना क्षेत्र में यूपी एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में 4 बदमाश ढेर हो गए। मुठभेड़ में एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार गंभीर रूप से घायल हो गये।
मारे गए बदमाश आतंक मचाने वाले मुस्तफा कग्गा गैंग के गुर्गे थे। बदमाशों की पहचान गिरोह के सरगना एक लाख के इनामी बदमाश अरशद और उसके तीन साथी मंजीत और सतीश के रूप में हुई। मारे गए एक बदमाश की शिनाख्त अभी तक नहीं हो सकी है।
गोली लगने से इंस्पेक्टर घायल, एक बदमाश की नहीं हुई शिनाख्त
सोमवार देर रात एसटीएफ मेरठ को सूचना मिली कि शामली के झिंझाना क्षेत्र में बदमाश लूट के इरादे से जा रहे हैं। सूचना पाते ही एसटीएफ मौके पर पहुंची।
उदपुर के ईंट भ_े के पास संदिग्ध ब्रेजा कार सवारों को रोकने का प्रयास किया। इसी बीच कार सवारों ने एसटीएफ टीम पर फायरिंग करनी शुरू कर दी। दोनों ओर से काफी देर तक फायरिंग होती रही। सहरानपुर के गंगोह के एक लाख के इनामी मुकीम और मुस्तफा उर्फ कग्गा गैंग का सदस्य अरशद गोली लगने से घायल हो गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
इसके अलावा अरशद का साथी सोनीपत का मंजीत और हरियाणा के मधुबन का रहने वाला सतीश और एक अन्य को भी गोली लगी। इन तीनों की भी मौके पर मौत हो गई। सूचना पाते ही डीआईजी अजय साहनी व एसपी शामली रामसेवक गौतम मौके पर पहुंचे। बदमाशों के पास से पिस्टल, तमंचे भी बरामद किए गए हैं। वहीं बदमाशों की फायरिंग में इंस्पेक्टर सुनील कुमार को गोली लगी है। उन्हें गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
42 मिनट तक चली एसटीएफ-बदमाशों में मुठभेड़, 30 राउंड फायरिंग
मुठभेड़ कुल 42 मिनट तक चली। इस दौरान करीब 30 राउंड फायरिंग हुई। इसमें टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर को भी गोली लग गई। उन्हें गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस अफसरों ने बताया कि पिछले 15 सालों में यूपी की यह सबसे बड़ी मुठभेड़ है। इससे पहले, 2004 में जौनपुर में बावरिया गिरोह के 8 बदमाश मुठभेड़ में ढेर हुए थे। बदमाशों के पास से 1 ब्रेजा कार, 2 पिस्तौल, 1 कार्बाइन और 3 बंदूकें भी बरामद की गई हैं।
शामली के झिंझाना इलाके में यूपी एसटीएफ की टीम की सोमवार देर रात मुस्तफा कग्गा गैंग के कुख्यात बदमाशों से मुठभेड़ हो गई। कार सवार बदमाशों को टीम ने घेरा तो उन्होंने फायरिंग करनी शुरू कर दी। टीम और बदमाशों के बीच करीब 30 राउंड फायरिंग हुई। इसमें गैंग का सरगना एक लाख के इनामी अरशद, उसके साथी सोनीपत निवासी मंजीत, करनाल निवासी सतीश और एक अन्य अपराधी ढेर हो गए। सभी एक ही मुस्तफा कग्गा गैंग के लिए अपराध करते थे। वहीं फायरिंग के दौरान टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर सुनील को भी गोली लग गई। उन्हें गंभीर हालत में करनाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में यहां से उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल रेफर कर दिया गया। उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। ये वही इंस्पेक्टर हैं जिन्होंने डकैत ददुआ और ठोकिया को भी एनकाउंटर में मार गिराया था।
अरशद पर फाइनेंस कंपनी में लूट समेत 17 मुकदमे दर्ज थे
गैंग का सरगना अरशद सहारनपुर जिले के थाना गंगोह के बाहडी माजरा गांव का रहने वाला था। वह कई मामलों में वांछित था। अरशद के खिलाफ लूट, डकैती, हत्या के 17 मुकदमे दर्ज हैं। सबसे पहला मुकदमा 2011 में डकैती का दर्ज हुआ।
इसके बाद सहारनपुर के रामपुर मनिहारन थाना क्षेत्र में उसने हत्या को अंजाम दिया। 29 नवंबर, 2024 को बेहट में भारत फाइनेंस कंपनी में 6-7 बदमाशों ने गन पॉइंट पर लूट की वारदात को अंजाम दिया था। इसमें अरशद भी शामिल था। लूट के बाद पुलिस ने तीन बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि अरशद समेत 4 फरार थे। अरशद के क्रिमिनल रिकॉर्ड को देखते हुए सहारनपुर पुलिस ने उस पर 25 हजार का इनाम रखा था। 19 दिसंबर को एडीजी ने बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिए। पुलिस और एसटीएफ लगातार उसकी तलाश में जुटी थी। अरशद लगातार पुलिस को चकमा दे रहा था।
मंजीत को हत्या में 20 साल की हुई थी सजा
मंजीत दहिया ने 2021 में हत्या की थी। हत्या के मुकदमे में उसे कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई थी। 5 महीने पहले वह 40 दिन की पैरोल पर जेल से आया था। इसके बाद वह वापस नहीं गया। तभी से पुलिस उसे तलाश रही थी।
सतीश के पिता दरोगा थे, कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं
बदमाश सतीश सोनीपत जिले के शेखपुरा गांव का रहने वाला था। 2015 से वह करनाल के मधुबन में रह रहा था। उसके पिता राज सिंह हरियाणा पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे। उनकी 2017 में बीमारी के कारण मौत हो गई थी। सतीश का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, पहले वह पुलिस का मुखबिर था।
कग्गा के डर से रात में थानों पर लटकते थे ताले
पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड में कग्गा गैंग का आतंक ऐसा था कि रात्रि के समय पुलिस थानों के गेट पर ताले लगने लगे थे। इस गैंग ने अपराध की दुनिया में ऐसा खौफ पैदा किया कि व्यापारी और आम जनता के साथ पुलिस वाले भी कांपते थे।
साल 2011 में सहारनपुर जिले के बाड़ी माजरा गांव निवासी मुस्तफा उर्फ कग्गा का अपराध की दुनिया में एकछत्र राज था। मुस्तफा के गैंग में ही मुकीम काला ने एंट्री की। उसका राइट हैंड बन गया। पुलिस पर हमला करने से पुलिस से उसकी दुश्मनी हो गई थी। झिझाना की बिडोली चौकी पर मुस्तफा ने एक सिपाही को गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। उस वक्त मुकीम काला कग्गा का शूटर बन चुका था। वारदात के वक्त कग्गा के साथ था। इसके बाद 2011 में सहारनपुर पुलिस ने मुस्तफा को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। इसके बाद मुकीम काला ने गैंग की कमान संभाल ली थी।
कग्गा गैंग का खौफ इतना था कि उस दौर में पश्चिम यूपी के कई थानों में रात के समय ताले लगा दिए जाते थे। रिटायर्ड पुलिसकर्मियों के अनुसार, उस वक्त इस गैंग का आतंक व्यापारियों और पुलिस के बीच भय का माहौल पैदा कर चुका था। कग्गा गैंग के अपराधों और खौफ ने पश्चिम यूपी, हरियाणा और उत्तराखंड के लोगों को लंबे समय तक दहशत में रखा। हालांकि पुलिस की लगातार कोशिशों से इस गैंग की शक्ति कमजोर हो रही है, लेकिन इसके अपराधों की दास्तां आज भी लोगों को सिहरने पर मजबूर कर देती है।
योगी सरकार के सात सालों में 221 कुख्यात ढेर हुए
बीते सात वर्षों में अब तक प्रदेश में 221 बदमाश ढेर हो चुके हैं। एसटीएफ ने दिसंबर 2024 में लखीमपुर खीरी में तीन खालिस्तानी आतंकियों को भी मार गिराया था। योगी सरकार में मार्च 2017 से अब तक पुलिस मुठभेड़ में लगभग आठ हजार अपराधी पुलिस की गोली लगने से घायल हो चुके हैं। बदमाशों से मुकाबले में अब तक 17 पुलिसकर्मी बलिदान हुए हैं।