माल लखनऊ
ब्लाक से तहसील दिवस तक की समस्या की शिकायत,नतीजा शिफर रहा।राहगीरों
व ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।मामला ग्राम पंचायत पारा भदराही के आबिद नगर मजरे का है। जहां अटारी से उमरावल जाने वाले मुख्य मार्ग पर जलभराव होने का है। जलभराव से राहगीरों को निकलना दुश्वार हो रहा है लेकिन लोकनिर्माण विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। ग्रामीणों ने कई बार इस जलभराव के निस्तारण के लिये ब्लाक अधिकारियों से लेकर तहसील समाधान दिवस में शिकायत दर्ज कराई लेकिन दो वर्षों से अभी तक कोई हल नहीं निकल
पाया है।
ग्रामीणों ने गत तहसील समाधान दिवस पर एक बार फिर समस्या के निस्तारण के लिए तहसील दिवस में फरियाद की। जिसे अधिकारियों ने माल विकास खंड को शिकायती पत्र स्थानांतरित कर दिया। जहां जांचकर्ता ने एक बार पुनः मामला लोक निर्माण विभाग से संबंधित बताकर अपनीआख्या पुनः तहसील अधिकारियों को प्रेषित कर पल्ला झड़ लिया और ग्रामीण फिर समस्या के निदान की बात जोहते नजर आयेंगे ।
जबकि सूबे के मुखिया और मंडलायुक्त के साफ निर्देश हैं कि किसी भी समस्या का निदान दो हफ्ते के अंदर करना सुनिश्चित कर शिकायत करता व संबंधित अधिकारी की संतुष्टि होना आवश्यक है। वहीं जिम्मेदारों के लिए सूबे के मुखिया का आदेश कोई मायने नहीं रखता है।
जलभराव की समस्या को हल किया जा सकता है
रोड़ पर पानी भरने से राहगीरों को उसमें गड्ढों का पता न होने से कई लोग चोटिल तो होते है साथ ही गिरकर कपड़े भी खराब हो जाते हैं।समस्या का निदान विकास विभाग (ब्लाक)और लोक निर्माण द्वारा मामूली धन खर्च कर किया जा सकता है,क्योंकि जलभराव स्थल से लगभग50/60मीटर की दूरी पर झीनगी नाला है।उसमें नाली बनाकर जलभराव की समस्या को हल किया जा सकता है।
लेकिन जनता को दिक्कत है अधिकारियों और सांसद विधायक को क्या लेना देना ? कारण यह जलभराव शासन प्रशासन के जिम्मेदारों की रोजमर्रा के आवागमन से कोसों दूर है।यदा कदा ही भूले भटके वहां जाना हो सकता है। या फिर चुनाव में वोट मांगने के समय। यही कारण है कि शासन प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा इन ग्रामीणों की करुण पुकार सुनने की जरूरत नहीं समझता या फिर जानते हुए भी अनसुना करता दिख रहा है।