Thursday, May 15, 2025

अवधी गोष्ठी परपंचु में भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण पर हुई चर्चा

रवींद्र सिंह युवा मीडिया

लखनऊ। लखनऊ कनेक्शन वर्ल्डवाइड एक वैश्विक फेसबुक समुदाय में 72,000+ सदस्य हैं।इसी समुदाय, ने कल कला स्रोत आर्ट गैलरी, लखनऊ में ‘परपंचु’ अवधी गोष्ठी का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अवधी भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण तथा संवर्धन के लिए समर्पित व्यक्तियों और संस्थाओं को एक साझा मंच प्रदान करना था जिससे पारस्परिक सहयोग एवं समन्वय को बढ़ावा मिले।
लखनऊ कनेक्शन-वर्ल्डवाइड ग्रुप की मेंटर प्रो. (डॉ.) शोभा बाजपेई ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, कि
“भाषाएं साहित्य और संस्कृति के बीच सेतु का कार्य करती हैं। मातृभाषा के प्रति जागरूकता एवं सम्मान का भाव समाज में पुनः प्रबल हो रहा है।”
मुख्य अतिथि डॉ. रवि भट्ट ने कहा, कि”अवधी जैसी समृद्ध लोकभाषाएं केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता, स्मृति एवं सांस्कृतिक आत्मा की वाहक हैं। इन्हें संरक्षित करना हमारी सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखने जैसा महत्वपूर्ण कार्य है।”

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कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रदीप सारंग ने गोष्ठी में उपस्थित लोगो को संबोधित करते हुए कहा, कि
“भाषा तब तक जीवित रहती है जब तक उसे बोला जाता है। अवधी हमारी अस्मिता है, और इसे गर्व के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए।”
कार्यक्रम में कनाडा से आए वरिष्ठ एडमिन अनिल शुक्ला ने कहा, कि”हमारा प्रयास केवल भाषा सहेजने का नहीं, बल्कि आधुनिकता के इस दौर में विरासत में मिली तहज़ीब, संस्कृति, साहित्य एवं लखनवियत को संजोकर आगे बढ़ाने का है। हमारा लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जो अपनी जड़ों पर गर्व करे।”इसके बाद सऊदी अरब से आए ग्रुप एडमिन शोएब कुरैशी ने कहा, “अवधी, अवध की सच्ची पहचान है। हमारी नई पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वह दुनियावी तरक्की के साथ-साथ अपनी मातृभाषा और तहज़ीब को भी आत्मसात करे।अवधी में संवाद करना गर्व की बात है।”

वरिष्ठ पत्रकार एवं अवधी के प्रख्यात लेखक नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए “अवधी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए युवा पीढ़ी आगे आने की बात कही। एआई जमाने के युवा अवधी सुनने-बोलने को आतुर हैं।
लखनऊ कनेक्शन वर्ल्डवाइड ग्रुप ने अपने जनप्रिय ‘परपंचु’ कार्यक्रम के माध्यम से अवधी को विभिन्न देशों तक पहुंचाने का बीड़ा उठा रखा है। साथ ही, केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा अवधी समेत अन्य लोक भाषाओं के उन्नयन हेतु प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बजट सत्र से अवधी गूंजने लगी है और प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों में अवधी में डिप्लोमा, डिग्री एवं पीजी कोर्स शुरू हो रहे हैं। यह स्थिति अवधी के लिए बेहद खूबसूरत और सकारात्मक है।”
इसके अतिरिक्त, इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने अपनी अवधी कविताओं का पाठ किया, जिनमें हिमांशु श्रीवास्तव (आकाशवाणी), संदीप अनुरागी, चेतराम अज्ञानी, अजय प्रधान, पप्पू अवस्थी, रवि अवस्थी, प्रदीप महाजन, किरण पाण्डेय, नीरजा शुक्ला, पुनीता अवस्थी, डॉ सूरज अवधी एवं पत्रकार आदित्य शुक्ल ‘बंजारा’ आदि ने सहभागिता करते हुए अवधी भाषा के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित किया।

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