तौफीक खान, युवा मीडिया
वाराणसी।। युवा समाजसेवी एक्ट्रेस तमन्ना ने बताया कि रहमत, बरकत और मगफिरत वाले ‘माह-ए-रमजान’ का आगाज हो चुका है । रमजान का महीना इस्लामिक (हिजरी) कैलेंडर का 9वां महीना होता है। ये महीना शाबान के महीने के बाद शुरू होता है। रमजान में रोजा रखने की शुरुआत चांद नजर आने के अगले दिन से होती है। साल 2024 में, 1 मार्च को चांद दिखने के बाद से भारत में रमजान की शुरुआत हो चुकी है। रमजान के महीने को रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना कहा जाता है. रमजान में दुनियाभर के मुसलमान रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत में अपना ज्यादा समय बिताते हैं। रमजान में फज्र की नमाज से पहले मुसलमान भोजन खाते हैं, जिसे सहरी कहते हैं और फिर सूरज ढलने तक न तो कुछ खाते हैं और न ही पीते हैं। शाम को मगिरब की नमाज से पहले रोजा खोलते हैं, जिसे इफ्तार कहा जाता है। इसके साथ ही, रमजान के महीने में मुसलमान ईशा की नमाज के बाद तरावीह की नमाज भी पढ़ते हैं।
रोजे में न छोड़ें नमाज – रमजान में रोजे की हालत में कुछ लोग सिर्फ सोए रहते हैं और अपनी नमाज छोड़ देते हैं, लेकिन अगर कोई शख्स रोजे में जानबूझकर नमाज छोड़ता है। तो उसको रोजे का कोई सवाब नहीं मिलता है। इसलिए रोजे में 5 वक्त की नमाज जरूर अदा करें।
गुस्से से दूर रहें – रोजे की हालत में अपने वालिद-वालिदैन (माता-पिता) पर गुस्सा करने या ऊंची आवाज में बात नहीं करना चाहिए। अगर आप रोजे में किसी पर भी गुस्सा करते हैं या लड़ाई-झगड़ा करते हैं, तो ऐसे रोजे का कोई सवाब नहीं मिलता है।
गाना सुनने से बचें – रोजे के दौरान रोजेदार को गाना सुनने से दूर रहना चाहिए. रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूख रहना नहीं है, बल्कि रोजा अपनी नफ्स पर काबू रखने का भी नाम है। इसलिए रोजे की हालत में अपनी हर नफ्स पर काबू रखें और गाना सुनने या कुछ भी देखने से बचें।