Monday, May 12, 2025

UP: राजधानी में चार साल से चार लोगों के एक साथ खड़े होने पर पाबन्दी !

राजधानी में आखिर कब समाप्त होगी निषेधाज्ञा

 हाईटेक पुलिस के लिए हथियार बनी बीएनएसएस की धारा-163

लखनऊ। साल 2019 दिसंबर महीने में सीएए-एनआरसी प्रदर्शन से सूबे की राजधानी लखनऊ में जारी धारा 144 की मियाद बढऩे का कारवां लगातार जारी है। बीते वर्ष कानून में सीआरपीसी की धारा 144 बदल कर बीएनएसएस की धारा 163 कर दी गई बावजूद लगातार निषेधाज्ञा की मियाद का बढ़ाया जाना जारी है।

फिलहाल पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हुए चार साल से अधिक समय बीतने के साथ ही धारा 144 की मियाद बढ़ाया जाना लगातारी जारी है। खास बात यह है कि अब पुलिस कमिश्नरेट की ओर से उक्त संबंध में जारी होने वाला प्रेस नोट भी बंद हो गया लेकिन धारा 163 जारी है।

चार साल से जारी है धारा-144, बढ़ाई जाती रही मियाद

फिलहाल धारा-144 जहां एक ओर हाईटेक पुलिस का एक नया हथियार उभर कर आया वहीं दूसरी ओर शहरवासी वासी भी इसके अनुकूल हो गए। अब शहर में धारा-144 का लागू होना मात्र एक सामान्य प्रकिया हो गई है।
दरअसल वर्ष 2019 दिसंबर में लखनऊ के पुराने शहर में सीएए-एनआरसी की हिंसक प्रदर्शन व आगजनी की घटना हुई। उस समय शहर की कानून -व्यवस्था की कमान तत्कालीन एसएसपी के हाथ में थी। जनवरी 2020 में योगी सरकार ने सूबे की राजधानी लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरेट प्रणाली की शुरूआत की।

आईपीएस सुजीत पाण्डेय को शहर का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया। अब तक कुल तीन पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ की कानून-व्यवस्था की कमान संभाल चुके हैं। वहीं अब लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की कमान आईपीएस अमरेंन्द्र कुमार सेंगर के हाथ में है। खास बात यह है कि साल महीनों के गुजरने के साथ ही वर्ष 2019 से लागू धारा-144 की मियाद समय के साथ ही बढ़ायी जाती रही। इस दौरान कोरोना महामारी संक्रमण काल से लेकर लोकसभा व विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक पर्टियों ने प्रदर्शन कर जोर आजमाइश भी किया।

यहां तक कि विभिन्न संगठनों के प्रदर्शनकारियों ने अपने-अपने तरीके से संगठित होकर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने धारा 144 की शाक्तियों के तहत कुछ लोगों के खिलाफ रहम तो कुछ के खिलाफ केस भी दर्ज किया। फिलहाल इस संबंध में संयुक्त पुलिस आयुक्त के पीआरओ ने बताया कि जनवरी माह तक धारा 163 की मियाद थी जिसे मार्च तक बढ़ाया गया है। गौरतलब है कि कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने से पहले यह अधिकार जिलाधिकारी के पास था।

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शांति व्यवस्था के मद्देनजर लगाई जाती है धारा 163

सीआरपीसी की धारा 144 (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163) शांति कायम करने या किसी आपात स्थिति से बचने के लिए लगाई जाती है। धारा 144 का मुख्य मकसद कई लोगों का एक जगह पर इकठ्ठा होने से रोकना है। धारा-144 जहां लगती है, उस इलाके में पांच या उससे ज्यादा आदमी एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं।

धारा-144 और कफ्र्यू के बीच फर्क

धारा-144 और कफ्र्यू दोनों ही अलग है। कफ्र्यू बहुत ही खराब हालत में लगाया जाता है। उस स्थिति में लोगों को एक खास समय या अवधि तक अपने घरों के अंदर रहने का निर्देश दिया जाता है। मार्केट, स्कूल, कॉलेज आदि को बंद करने का आदेश दिया जाता है। सिर्फ आवश्यक सेवाओं को ही चालू रखने की अनुमति दी जाती है। इस दौरान ट्रैफिक पर भी पूरी तरह से पाबंदी रहती है। जबकि धारा 144 लागू होने पर पूर्वअनुमति प्राप्त किए बिना पांच या उससे अधिक व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान व जुलूस में समूह बनाकर सम्मिलित नहीं हो सकते।

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