बाघ के पकड़े जाने के बाद तहसील में खुल गए सभी स्कूल, गांवों में खुशी की लहर
युवा मीडिया, मलिहबाद : 90 दिन बाद रहमानखेड़ा जंगल और उसके आसपास करीब 60 गांव में दहशत का पर्याय बने बाघ को बुधवार को पकड़ा गया था। करीब 20 घंटे तक पिंजरे में कैद रहे बाघ को वनविभाग ने अगले दिन दुधवा टाइगर रिजर्व में सुरक्षित छोड़ दिया। पिंजर से कूद की निकलने के बाद बाघ दुधवा के घने जंगलों में चला गया। बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए पांच जनपदों से आई वनविभाग की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी। ट्रेंकुलाइज से बाघ को बेहोश करके उसे पिंजरे में कैद करके इलाज के लिए ले जाया गया था। हालांकि, बाघ के पकड़े जाने के बाद तहसील में दहशत का माहौल खत्म हो चुका है। दो माह से बंद स्कूल खुल चुके हैं। वहीं, बाघ प्रभावित गांवों में खुशी की लहर है
रेस्क्यू ऑपरेशन ने वनकर्मियों को छकाया
डीएफओ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए बुधवार को थर्मल ड्रोन से पीछा किया गया। फिर बाघ को झाड़ियों के बीच देखकर छह ट्रेंकुलाइजर की डोज दी गई थी। जिससे बाघ बेहोश होगा। हालांकि, आधे घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बाघ ने वनकर्मियों को खूब छकाया। ट्रेंकुलाइज करने के बाद बाघ अपनी पूरी ताकत से करीब आधा किलोमीटर तक भागा, जिसके बाद वह बेहोश हो गया। इस दौरान कानपुर चिडियाघर के विशेषज्ञ डॉ. नासिर और दुधवा टाइगर रिजर्व के डॉ. दक्ष बाघ को ट्रेंकुलाइज करने वाली टीम को लीड कर रहे थे।
11 ग्राम पंचायत में थी बाघ की दहशत
बाघ की मौजूदगी ने तहसील के 11 ग्राम पंचायतों में लोगों की चैन की नींद छीन ली थी। बाघ की दहशत से कृषि, बागवानी, पशुपालन और कुटीर उद्योग प्रभावित हो चुके थे। जिसके चलते ग्रामीण पलायन करने पर विवश थे। बाघ के खौफ की वजह से स्कूलों को बंद कर दिया गया था। 90 दिनों तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बाघ ने 25 जानवरों का शिकार किया। बाघ ने अपना सबसे आखिरी शिकार बुधवार सुबह ही एक खेत में गाय को बनाया था, जिससे लोगों में दहशत और बढ़ गई थी। हालांकि, इन दौरान बाघ ने किसी इंसान को अपना शिकार नहीं बनाया। डीएफओ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि बाघ को पकड़ने के बाद कुछ घंटे सुरक्षा में रखा गया। इसके अगले दिन बाघ को दुधवा नेशनल पार्क में छोड़ दिया गया है। बाघ की उम्र 3 वर्ष की आंकी गई है।