Wednesday, October 22, 2025

दहेज ने छीनी खुशनुमा की सांसें ,दहेज की आग में जली गर्भवती

युवा मीडिया

लखनऊ। तालकटोरा में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना ने एक बार फिर समाज के माथे पर कलंक लगा दिया। 25 साल की खुशनुमा, जो डेढ़ माह की गर्भवती थी, को उसके लालची और क्रूर ससुराल वालों ने दहेज की खातिर पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया।

मृतक खुशनुमा

उसके नाजुक शरीर पर चोटों के निशान, मुंह और नाक से निकलते झाग और खून इस जघन्य अपराध की भयावहता को चीख-चीखकर बयान कर रहे हैं। यह कोई हादसा नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या थी, जिसे दहेज के भूखे भेड़ियों ने अंजाम दिया।

खुशनुमा का पति
खुशनुमा का पति

मृतका की बहन का रोंगटे खड़े करने वाला खुलासा

इस वारदात में ससुराल वालों की नीचता उस वक्त और उजागर हुई, जब उन्होंने मायके वालों को अस्पताल बुलाकर खुद शव छोड़कर भाग खड़े हुए। मृतका की बहन इलमा हुसैन का खुलासा रोंगटे खड़े करने वाला है। उसने बताया कि फरवरी 2023 में निकाह के बाद से ही खुशनुमा का पति असद नकवी और उसके परिजन दहेज के लिए उसे रोज ताने मारते और मार-पीट करते थे।

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सोमवार को समझौता कराने की कोशिश भी बेकार गई, क्योंकि इन हैवानों ने रात होते ही उसे बेरहमी से कुचल डाला। पुलिस ने दहेज हत्या का मामला दर्ज कर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा था, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई उन बेटियों को वापस ला सकती है, जो इस लालच की बलि चढ़ चुकी हैं ?

तालकटोरा की सज्जादिया कॉलोनी में एक गर्भवती महिला की हत्या ने समाज की सड़ी-गली सोच को फिर से नंगा कर दिया। खुशनुमा, जिसके गर्भ में डेढ़ माह का बच्चा पल रहा था, को उसके ससुराल के दरिंदों ने इतना पीटा कि उसकी सांसें थम गईं।

उसके शरीर पर चोटों के निशान और मुंह-नाक से बहता खून इस बात का सबूत है कि यह महज मौत नहीं, बल्कि एक क्रूर नरसंहार था। ससुराल वालों ने न सिर्फ उसे मार डाला, बल्कि मायके वालों को धोखे से अस्पताल बुलाकर शव छोड़कर भाग गए, एक कायराना हरकत, जो उनकी नीचता को उजागर करती है।

क्या दहेज की भूख मासूम जिंदगियों को निगलती रहेगी

पुलिस ने इस मामले में दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा था। थाना प्रभारी के मुताबिक, खुशनुमा के पति असद नकवी को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन परिवार के बाकी सदस्य फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है और जल्द ही उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने का दावा कर रही है।

लेकिन यह घटना समाज के सामने कई सवाल खड़े करती है। आखिर कब तक दहेज की भूख मासूम जिंदगियों को निगलती रहेगी? क्या कानून का डर इन दरिंदों को रोक पाएगा, या यह मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

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