Sunday, December 7, 2025

पोषण एवं एनीमिया का महत्व एनएसएस छात्रों ने किया सर्वेक्षण

 

टॉप सिंह, यूथ मीडिया
बांदा (ब्यूरो)। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बांदा की राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम, द्वितीय, तृतीय इकाई के विशेष कार्यक्रम की डॉ. जयंती सिंह, डॉ. नीतू सिंह ने स्वयंसेवी छात्राओं के साथ दलित बस्ती दरी मोहल्ला, बारी मोहल्ला एवं अहीर मोहल्ला में जाकर आज के विषय स्वास्थ्य, पोषण का महत्व एवं एनीमिया तथा भोजन का महत्व पर सर्वेक्षण किया। अपने सर्वेक्षण में छात्राओं ने बस्ती के लोगों, महिलाओं एवं बालिकाओं से उ नकी शिक्षा के बारे में पूछा।

स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति यह है कि इन बस्तियों की अधिकांश बालिकाओं, लगभग 70% को अपना रक्त समूह ही नहीं पता है तथा अधिकांश बालिकाओं में एनीमिया है। शिक्षा के साथ-साथ आज भी बालिकाओं के खान-पान में अंतर है। छात्राओं ने शिविर का आयोजन किया। यह शिविर प्राचार्य प्रोफेसर दीपाली गुप्ता की अध्यक्षता में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सबीहा रहमानी, डॉ. जयंती सिंह, डॉ. नीतू सिंह द्वारा आयोजित किया गया है। कार्यक्रम का सफल संचालन सहायक कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सचिन मिश्रा ने किया।

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सात दिवसीय विशेष शिविर के तीसरे दिन दूसरे सत्र में ‘मिशन शक्ति बालिका विकास’ विषय पर ही संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ प्राची विजय का स्वागत डॉ सबीहा रहमानी ने पुष्प गुच्छ देकर किया। डॉ जयंती सिंह ने उन्हें बैज पहनाकर अलंकृत किया। संगोष्ठी का आयोजन एवं अध्यक्षता नोडल अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना जनपद बांदा डॉ सबीहा रहमानी, डॉ जयंती सिंह, डॉ नीतू सिंह ने की। अतिथि के रूप में चिराग फाउंडेशन के सह संरक्षक श्री अकील अहमद खान उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर दीपाली गुप्ता ने की। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ प्राची विजय ने स्वयंसेवी छात्राओं एवं कॉलोनी के लोगों को संबोधित किया। डॉ नीतू सिंह ने अपने भाषण में कहा कि अगर हमें अपना मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रखना है तो हमें अपना शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा रखना होगा। हमारे स्वास्थ्य एवं पोषण में आयरन, कैल्शियम एवं प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्थान है।

अपने संबोधन में डॉ जयंती सिंह ने कहा कि महिलाओं एवं बालिकाओं का स्वास्थ्य उनके विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। पूरे समाज को रूढ़िवादी ढांचे से बाहर आकर उन्हें शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कार्ययोजना बनाकर काम करने के लिए प्रेरित किया। सेमिनार में डॉ. सबीहा रहमानी ने भी कहा…
“पहले जान, फिर जहान”। इसे ध्यान में रखते हुए हम महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना चाहिए। उन्होंने बताया कि हम महिलाओं/लड़कियों को अपना ध्यान रखना चाहिए और पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी शिक्षा और अन्य गुणों का विकास करना चाहिए। स्वयंसेवी छात्राओं मेधावी, यशी आकांक्षा, प्रियांशी, अंजलि, काशिफा, नौरीन, चेतना उज्ज्वल, अदीना, आकांक्षा पटेल, संध्या, चेतना, स्नेहा आदि ने टोली बनाकर दलित बस्तियों में लड़कियों की शिक्षा और विकास के लिए जागरूकता पैदा की।

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