भारत में अब तक की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (Subansiri Lower HEP) का शुभारंभ 24 अक्टूबर 2025 को हुआ।
NHPC Limited ने इस परियोजना की पहली 250 मेगावाट इकाई का “वेट कमीशनिंग” (पानी के साथ परीक्षण) शुरू किया है। यह परियोजना भारत के ऊर्जा स्वावलंबन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
⚙️ परियोजना का विवरण
स्थान: गेरुकामुख (Gerukamukh), असम-अरुणाचल सीमा पर
नदी: सुबनसिरी नदी
कुल क्षमता: 2000 मेगावाट (8 × 250 MW)
बांध की ऊँचाई: लगभग 116 मीटर (कंक्रीट ग्रेविटी बाँध)
परियोजना का निर्माण प्रारंभ: वर्ष 2005
संभावित बिजली उत्पादन: ~7500 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष
NHPC ने बताया कि सभी इकाइयाँ चालू होने पर यह परियोजना पूर्वोत्तर भारत की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
🌱 परियोजना का महत्व
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा
पूर्वोत्तर राज्यों में औद्योगिक विकास और रोजगार वृद्धि
जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी
ऊर्जा-संतुलन और राष्ट्रीय ग्रिड को मजबूती
NHPC के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा,
“यह भारत के जलविद्युत परिदृश्य के लिए ऐतिहासिक क्षण है — अब पूर्वोत्तर भारत ऊर्जा-समृद्ध क्षेत्र बनेगा।”
⚠️ चुनौतियाँ और विवाद
इस परियोजना के निर्माण में लंबे समय तक जन-विरोध और पर्यावरणीय विवाद बने रहे।
कई स्थानीय संगठन इसे “टिकिंग वॉटर बम” कहते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह इलाका भूकंपीय संवेदनशील जोन V में आता है।
नदी के प्रवाह और पारिस्थितिकी पर प्रभाव को लेकर चिंताएँ जताई गईं।
NHPC ने हालांकि दावा किया है कि सभी सुरक्षा और पर्यावरण मानक पूरे किए गए हैं तथा पुनर्वास और राहत कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है।
🔍 भविष्य की दिशा
सभी इकाइयों के 2026 के मध्य तक चालू होने की संभावना।
परियोजना से पूर्वोत्तर में ग्रीन एनर्जी हब का निर्माण होगा।
इससे राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड को स्थिरता और अतिरिक्त आपूर्ति मिलेगी।
सुबनसिरी बांध का एरियल दृश्य — NHPC Subansiri Lower Dam aerial view
परियोजना स्थल पर इंजीनियरिंग गतिविधियाँ — NHPC engineers at site



