सार : धार्मिक स्थलों से 1,400 से अधिक लाउडस्पीकर हटाए गए, ध्वनि-मानक और समय सीमा उल्लंघन पर प्रशासन की सख्ती, सभी जिलों में कार्रवाई, कई संस्थाओं ने खुद हटाए स्पीकर, उद्देश्य – शांत वातावरण और ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण
विस्तार : उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में ध्वनि-प्रदूषण नियंत्रण अभियान चलाया है। इस अभियान में धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर लगे 1,400 से अधिक लाउडस्पीकरों को या तो हटाया गया है या उनकी आवाज़ तय सीमा तक कम कराई गई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई किसी समुदाय विशेष को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि ध्वनि नियंत्रण नियमों के सख्त पालन के लिए की गई है। अधिकारी बताते हैं कि कई स्थानों पर धार्मिक संस्थाओं ने स्वयं लाउडस्पीकर हटाकर प्रशासन का सहयोग किया है।
प्रशासन का बयान : राज्य के गृह विभाग ने बताया कि जांच के दौरान कई स्थानों पर लाउडस्पीकरों की आवाज़ निर्धारित डेसिबल सीमा से अधिक पाई गई। कुछ स्थानों पर सुबह 6 बजे से पहले या रात 10 बजे के बाद भी लाउडस्पीकर बजाए जा रहे थे। अधिकारियों का कहना है, “धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए भी यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी व्यक्ति की सुविधा या शांति भंग न हो।”
प्रशासन ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि ध्वनि नियंत्रण कानून (Noise Pollution Rules) का पालन सुनिश्चित करें और उल्लंघन की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करें।
जिलों में हुई कार्रवाई : अभियान के दौरान लखनऊ, कानपुर, मेरठ, प्रयागराज, आगरा, गोरखपुर, बनारस, बरेली और झांसी समेत सभी मंडलों में निरीक्षण हुआ। कई धार्मिक स्थलों पर स्वैच्छिक रूप से लाउडस्पीकर हटाए गए, जबकि कुछ जगह प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा।
विशेषज्ञों की राय : पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण मानसिक तनाव, नींद की कमी और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं को जन्म देता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम जनस्वास्थ्य और शिक्षा वातावरण दोनों के लिए सकारात्मक साबित होगा।
“ध्वनि प्रदूषण पर रोक केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है,”
— प्रो. एस.एन. त्रिपाठी, पर्यावरण विशेषज्ञ
सरकार का रुख : राज्य सरकार का कहना है कि धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रमों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल केवल निर्धारित सीमा तक ही किया जा सकेगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम राज्य में संतुलित धार्मिक-सामाजिक वातावरण और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है। यह कार्रवाई जहां एक ओर ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी, वहीं दूसरी ओर समाज में कानून के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगी।

